कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
हल्का-हल्का नशा है
डूब जाने दो
रफ्ता-रफ्ता “मैं” में
रम जाने दो
डूब जाने दो
रफ्ता-रफ्ता “मैं” में
रम जाने दो
जलती हुई आग को
बुझ जाने दो
आंसूओं के सैलाब को
बह जाने दो
बुझ जाने दो
आंसूओं के सैलाब को
बह जाने दो
टूटे हुए सपने को
सिल लेने दो
रंज-ओ-गम के इस जहां में
बस लेने दो
सिल लेने दो
रंज-ओ-गम के इस जहां में
बस लेने दो
मकाँ बन न पाया फकीरी
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो
तजुर्बा-ए-इश्क है खराब
समझ लेने दो
अपनी तो ज़िंदगी बस यूं ही
जी लेने दो
समझ लेने दो
अपनी तो ज़िंदगी बस यूं ही
जी लेने दो
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति...लाजवाब।
ReplyDelete*गद्य-सर्जना*:-“तुम्हारे वो गीत याद है मुझे”
जिंदगी जैसी भी है , मेरी है , मेरे ही अंदाज़ में जी लेने दो ...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति !