खामोश हम तुम
बात ज़िन्दगी से
आँखों ने कुछ कहा
धड़कन सुन रही है
आँखों ने कुछ कहा
धड़कन सुन रही है
धरती से अम्बर तक
नि:शब्द संगीत है
मौसम की शोखियाँ भी
आज चुप-चुप सी है
नि:शब्द संगीत है
मौसम की शोखियाँ भी
आज चुप-चुप सी है
गीत भी दिल से
होंठ तक न आ पाए
बात दिल की
दिल में ही रह जाए
होंठ तक न आ पाए
बात दिल की
दिल में ही रह जाए
.
जिस्मो की खुशबू ने
पवन महकाया है
खामोशी को ख़ामोशी ने
चुपके से बुलाया है
पवन महकाया है
खामोशी को ख़ामोशी ने
चुपके से बुलाया है
.
प्यार की बातों को
अबोला ही रहने दो
नि:शब्द इस गूँज को
शब्दों में न ढलने दो
अबोला ही रहने दो
नि:शब्द इस गूँज को
शब्दों में न ढलने दो
.
प्यार के भावो को
शब्दों में मत बांधो
चुपके से इस दिल से
संगीत का स्वर बांधो
शब्दों में मत बांधो
चुपके से इस दिल से
संगीत का स्वर बांधो
.
स्वर ही है इस मन के
भावो को है दर्शाती
प्यार जो चुप चुप है
जुबां से निकल आती
भावो को है दर्शाती
प्यार जो चुप चुप है
जुबां से निकल आती
स्वर ही है इस मन के
ReplyDeleteभावो को है दर्शाती
प्यार जो चुप चुप है
जुबां से निकल आती
--
स्वर संगीत सभी है
यदि दिनों में प्यार है!
बहुत खूबसूरत मखमली रचना लिखी है आपने!
धरती से अम्बर तक
ReplyDeleteनि:शब्द संगीत है
इस नि:शब्द संगीत को पारखी ही सुन पाते है
नि:शब्द खामोशी बहुत कुछ कह गयी ....सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्यार के भावो को
ReplyDeleteशब्दों में मत बांधो
चुपके से इस दिल से
संगीत का स्वर बांधो
बहुत ही सुंदर भाव है..... बेहतरीन अभिव्यक्ति
वाह!! बहुत सुंदर ... गुलज़ार साब की रचना याद आगयी ... प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो ...
ReplyDeleteवाह ! बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव बहुत गहराई है हर बात में
ReplyDeleteप्यार के भावो को
ReplyDeleteशब्दों में मत बांधो
चुपके से इस दिल से
संगीत का स्वर बांधो
bahut sundar!
ankahee baaton ka saudarya hi kuch aur hai!!!
प्यार की बातों को
ReplyDeleteअबोला ही रहने दो
नि:शब्द इस गूँज को
शब्दों में न ढलने दो ...
लाजवाब .... सच है प्यार की बातें आँखों ही आँखों में जो होती हैं ... बिना आवाज़ ... .
खामोशी ही तो हमारी भावनाओं की सबसे खूबसूरत अभिव्यक्ति होती है. निशब्द संसार अर्थों का अथाह अतल सागर होता है जो हर बात में नए आयामों को रच देता है. बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
स्वर ही है इस मन के
ReplyDeleteभावो को है दर्शाती
प्यार जो चुप चुप है
जुबां से निकल आती
सच कहा..बिन संवाद, बिन स्वर के कोई प्यार की जुबान कैसे समझेगा. सुंदर रचना.
राजभाषा हिंदी said...
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति। बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
November 3, 2010 4:32 AM
डा.राजेंद्र तेला "निरंतर" said...
ReplyDeleteAwesome
November 7, 2010 5:21 AM