Followers

"Google-transliterate"

Type in Hindi (Press Ctrl+g to toggle between English and Hindi)

Sunday, November 7, 2010

नि:शब्द


खामोश हम तुम
बात ज़िन्दगी से
आँखों ने कुछ कहा
धड़कन सुन रही है

धरती से अम्बर तक
नि:शब्द संगीत है
मौसम की शोखियाँ भी
आज चुप-चुप सी है

गीत भी दिल से
होंठ तक न आ पाए
बात दिल की
दिल में ही रह जाए
.
जिस्मो की खुशबू ने
पवन महकाया है
खामोशी को ख़ामोशी ने
चुपके से बुलाया है
.
प्यार की बातों को
अबोला ही रहने दो
नि:शब्द इस गूँज को
शब्दों में न ढलने दो
.
प्यार के भावो को
शब्दों में मत बांधो
चुपके से इस दिल से
संगीत का स्वर बांधो
.
स्वर ही है इस मन के
भावो को है दर्शाती
प्यार जो चुप चुप है
जुबां से निकल आती

13 comments:

  1. स्वर ही है इस मन के
    भावो को है दर्शाती
    प्यार जो चुप चुप है
    जुबां से निकल आती
    --
    स्वर संगीत सभी है
    यदि दिनों में प्यार है!
    बहुत खूबसूरत मखमली रचना लिखी है आपने!

    ReplyDelete
  2. धरती से अम्बर तक
    नि:शब्द संगीत है
    इस नि:शब्द संगीत को पारखी ही सुन पाते है

    ReplyDelete
  3. नि:शब्द खामोशी बहुत कुछ कह गयी ....सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  4. प्यार के भावो को
    शब्दों में मत बांधो
    चुपके से इस दिल से
    संगीत का स्वर बांधो

    बहुत ही सुंदर भाव है..... बेहतरीन अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  5. वाह!! बहुत सुंदर ... गुलज़ार साब की रचना याद आगयी ... प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो ...

    ReplyDelete
  6. वाह ! बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुंदर भाव बहुत गहराई है हर बात में

    ReplyDelete
  8. प्यार के भावो को
    शब्दों में मत बांधो
    चुपके से इस दिल से
    संगीत का स्वर बांधो
    bahut sundar!
    ankahee baaton ka saudarya hi kuch aur hai!!!

    ReplyDelete
  9. प्यार की बातों को
    अबोला ही रहने दो
    नि:शब्द इस गूँज को
    शब्दों में न ढलने दो ...

    लाजवाब .... सच है प्यार की बातें आँखों ही आँखों में जो होती हैं ... बिना आवाज़ ... .

    ReplyDelete
  10. खामोशी ही तो हमारी भावनाओं की सबसे खूबसूरत अभिव्यक्ति होती है. निशब्द संसार अर्थों का अथाह अतल सागर होता है जो हर बात में नए आयामों को रच देता है. बेहद गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  11. स्वर ही है इस मन के
    भावो को है दर्शाती
    प्यार जो चुप चुप है
    जुबां से निकल आती

    सच कहा..बिन संवाद, बिन स्वर के कोई प्यार की जुबान कैसे समझेगा. सुंदर रचना.

    ReplyDelete
  12. राजभाषा हिंदी said...
    सुंदर अभिव्यक्ति। बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
    राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
    November 3, 2010 4:32 AM

    ReplyDelete
  13. डा.राजेंद्र तेला "निरंतर" said...
    Awesome
    November 7, 2010 5:21 AM

    ReplyDelete

among us