मधुर तेरा अंदाज़
मनहर सुर और नटवर साज़
भागे क्यों मन सुन आवाज़
सुरताल का तू सरताज
मनभाया तेरा अंदाज़ !!
मधुर तेरी मुस्कान
विरहा ये मन पाए सुकून
सुन मधुर बंसी की धुन
किस बगिया से लाया चुन
मन भागे पीछे पुन-पुन !!
मधुर तेरी माया
बारिश की बूँदें रिमझिम
इस तन पर लगे सुर सम
सुन गुहार वंशी वाले
दे दरस छंट जाये तम !!
मधुर तेरी बंसी
सुन नृत्य करे धरा छम-छम
फूल खिले गुलशन -गुलशन
ताल - नदी- झरने-सागर
बात जोहते है क्षण-क्षण !!
मधुर तेरी पूजा
हे बंसीधर बंसी बजैया
पार लगाओ हमारा खेवैया
माया - मोह से हमें उबारो
सुनाकर मोक्षदायिनी धुन !!
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ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता...जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ....
ReplyDeletesundar..bhaktimay ...
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