tag:blogger.com,1999:blog-88990677252014640932024-03-20T01:15:50.876-07:00aaa"यहाँ देखो,भारतमाता धीरे-धीरे आँखे खोल रही है .
वह कुछ ही देर सोयी थी .
उठो, उसे जगाओ और पहले की अपेक्षा और भी
गौरवमंडित करके भक्तिभाव से उसे उसके
चिरंतन सिंहासन पर प्रतिष्ठित कर दो!"
___स्वामी विवेकानंदAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-75750607510840182782016-03-04T06:24:00.002-08:002016-03-04T06:24:56.725-08:00প্রেম মানে
প্রেম মানে চুপচাপ টুপটাপ গল্প
প্রেম হলো আদরের আষাঢে স্বপ্ন
প্রেম মানে বিশ্বাস প্রাণ ভরা নিশ্বাস
ছোট কোনো গল্পের পুরনতার আশ্বাস
প্রেম যদি দিক্ভ্রম তবে কেন ছড়ানো
বসন্তে নানারঙে নানাদিক রাঙানো
বৃষ্টিতে ভেজে মন...প্রেম ধুয়ে জাযে না
দিক্ভ্রম হয়ে যারা-প্রেম তার সয়ে না
প্রেম যদি ওলঢাল করে এই মনটা
তাহলে কি পারবে ঠেকাতে জীবনটা
শিমুলের ফুল আর বাসন্তী কুহুডাক
ছড়াও ভালবাসা - পৃথিবীর Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-19738196006203554092013-08-28T05:10:00.001-07:002013-08-28T05:10:26.090-07:00कृष्ण जन्माष्टमी पर.…….
मधुर तेरा अंदाज़
मनहर सुर और नटवर साज़
भागे क्यों मन सुन आवाज़
सुरताल का तू सरताज
मनभाया तेरा अंदाज़ !!
मधुर तेरी मुस्कान
विरहा ये मन पाए सुकून
सुन मधुर बंसी की धुन
किस बगिया से लाया चुन
मन भागे पीछे पुन-पुन !!
मधुर तेरी माया
बारिश की बूँदें रिमझिम
इस तन पर लगे सुर सम
सुन गुहार वंशी वाले
दे दरस छंट जाये तम !!Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-54230337422632695072012-05-31T07:40:00.002-07:002012-05-31T07:40:39.971-07:00जलधि विशाल...आज गंगा दशहरा के पर्व पर
जलधि विशाल तरंगित ऊर्मि
नीलांचल नाद झंकृत धरणी
कल-कल झिन्झिन झंकृत सरिता
पारावार विहारिणी गंगा
तरल तरंगिनी त्रिभुवन तारिनी
शंकर जटा विराजे वाहिनी
शुभ्रोज्ज्वल चल धवल प्रवाहिनी
मुनिवर कन्या हे ! भीष्म जननी
पतित उद्धारिणी जाह्नवी गंगे
त्रिभुवन तारिणी तरल तरंगे
महिमा तव गाये धरनीचर
मोक्ष प्राप्त हो जाए स्नान कर
Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-70691855577548493522012-02-08T04:23:00.000-08:002012-02-08T04:23:10.113-08:00नदी के पार....नदी के पार कोई गाता गीत उस स्वर में बसा है मन का मीत नदी की लहरों खेतों से उठकर आती ध्वनि मन लेता जीत
होगा इस पार जो लेगा सुन इस देहाती गानों का उधेड़-बुन इन एकाकी गानों को सुनकर मरकर भी जी लेगा पुन-पुन
भानु-चन्द्र का है आलिंगन प्रकाश से भरा है लालिमांगन इन गीतों ने छेड़ा है फिर से राग-अनुराग का आलापन Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-16454873350090371342011-10-25T05:56:00.001-07:002011-10-25T05:56:48.755-07:00मेरी गली सेमेरी गली से जब भी गुजरीं वो
खुशबू का सैलाब सा बह गया
रूह तक पहुंची वो खुशबू-ए-उल्फत
मुहब्बत का तकाजा बढ़ गया
दिल के दामन में आकर
धूम मचाकर रख दिया
सपनो में भी चैन न आया
वो आयी और मै दीवाना हो गया
इश्क जब सर पर चढ़ा
वो बेवफा चिड़िया सी फुर्र हुई
अब तो ये हाल है जानम
मालूम नहीं कब दिन हुआ कब रात हुईAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-64342254174685304442011-07-16T23:35:00.000-07:002011-07-16T23:35:05.191-07:00ज़िन्दगी से ....
ज़िन्दगी से बस यूं ही
चन्द बातें हुई
चमन में आये बहार से
एक मुलाकात हुई
जलते चिरागों तले
रोशनी नहीं होती
चिराग तले अँधेरे में
ज़िन्दगी दीदार हुई
हर तरफ भीड़ है
हर शख्स है परेशान
इस दुनिया में ज़िन्दगी
तू ही है तनहा खडीAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-65934054424406049752011-04-18T19:49:00.000-07:002011-04-18T19:50:01.095-07:00बात ...दिल की
घुप्प रात का अँधेरा परछाई का नहीं नामोनिशाँफिर ये साया कौन? जो मेरा हमराही है बन रहा
तुझसे बिछड़कर मरने का कोई इरादा तो नही इश्क किया है तुझसे पर इतना बेपनाह तो नही
एकटक सितारों को क्यों देखते हो इन सितारों से मिलने का तमन्ना तो नहीं ?
Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-18156449770847371802011-03-29T19:58:00.000-07:002011-03-30T21:08:27.341-07:00तेरी यादों में ...
आँखों में आंसूं भरे है तेरी यादों में
हलक से पानी न उतरा तेरी यादों में
हर आहट तेरे आने का आस जगाये
भरी महफ़िल से हम उठकर चले आये
तेरी यादों में
दिल का दर्द नासूर बन गया तेरी यादों में
बह रही है Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-76128432488085589492011-03-18T03:53:00.001-07:002011-03-18T03:53:43.492-07:00यारा लगा मन
यारा लगा मन फकीरी में न डर खोने का न खुशी कुछ पाने का ये जहां है अपना बीते न दिन गरीबी में
यारा लगा मन फकीरी में
जब से लागी लगन उस रब से मन बैरागी सा हो गया पथ-पथ घूमूं ढूंडू पिया को ये फकीरा काफ़िर बन गया
मन फकीरा ये जान न पाए आखिर उसे जाना है कहाँ रब दे वास्ते ढूंडन लागी रास्ता-रास्ता गलियाँ-गलियाँ
क्या करूँ Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-13893783051510818982011-03-06T05:39:00.000-08:002011-03-06T05:39:30.992-08:00जो आनंद है ............
जो आनंद है फूल गंध में
जो आनंद है पंछी धुन में
जो आनंद है अरुण आलोक में
जो आनंद है शिशु के प्राण में
जिस आनंद से वातास बहे
जिस आनंद में सागर बहे
जो आनंद है धूल कण में
जो आनंद है तृण दल में
जिस आनंद से आकाश है भरा
जिस आनंद से भरा है तारा
जो आनंद है सभी सुख में
जो आनंद है बहते रक्त-कण में
वो आनंद मधुर होकर
तुम्हारे Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-89131166679914855502011-02-26T04:43:00.000-08:002011-02-26T04:43:17.718-08:00साजन तुम कब आओगे
साजन तुम कब आओगे
.तुम्हारे कदमो की हल्की सी आहट से
ये दिल परेशां हुआ
टूट न जाए ये प्यार के धागे
मतवारा ये प्यार हुआ
.तुम कब समझ पाओगे
साजन तुम कब आओगे
.चाहे सांझ हो या चाहे सवेरा
ये मन धडका जाए
तुम तो सजन नींदों से सोये
हाय! मुझे नींद न आये
.तुमने प्यार छुपाया लेकिन
मुझ से न छुप पाया
मेरे मन की अन्धकार में
प्यार का दीया Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-48824345880248104382011-02-21T19:35:00.000-08:002011-02-21T19:35:33.129-08:00चढ़कर इश्क .........
चढ़कर इश्क की कई मंजिले
अब ये समझ आया
इश्क के दामन में फूल भी है
और कांटे भी
और मेरे हाथ काँटों भरा
फूल आया
-------------
फूल सा इश्क पाकर
फूला न समाया
पर बेवफाई का काँटा हर फूल ने
ज़रूर चुभाया
----------------
अब तो मेरी हालत देख
दोस्त ये कहे
इश्क का तो यही ताकाज़ा है
तेरा दिल हर फूल पे
क्यों आयाAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-14199409547424994552011-02-20T02:24:00.000-08:002011-02-20T02:25:03.116-08:00जी लेने दो...
कतरा-कतरा ज़िंदगी का
पी लेने दो
बूँद बूँद प्यार में
जी लेने दो
हल्का-हल्का नशा है
डूब जाने दो
रफ्ता-रफ्ता “मैं” में
रम जाने दो
जलती हुई आग को
बुझ जाने दो
आंसूओं के सैलाब को
बह जाने दो
टूटे हुए सपने को
सिल लेने दो
रंज-ओ-गम के इस जहां में
बस लेने दो
मकाँ बन न पाया फकीरी
कर लेने दो
इस जहां को ही अपना
कह लेने दो
तजुर्बा-ए-इश्क है खराब
समझ लेने दो
अपनी तो ज़िंदगी बस यूं ही
जी लेने दोAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-84720542614143146812011-02-08T05:53:00.000-08:002011-02-08T05:53:12.467-08:00कविता रच डाली
आसमान में बादल छायाछुप गया सूरज शीतल छायामेरे इस उद्वेलित मन ने कविता रच डाली
ठंडी हवा का झोंका आयाकारी बदरी मन भरमायामन-मयूर ने पंख फैलाकर कविता रच डाली
गीली मिटटी की खुश्बू सेश्यामल-श्यामल सी धरती सेमन के अन्दर गीत जागा और कविता रच डाली
ये धरती ये कारी बदरीमन Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-87420720906060860012011-02-01T18:30:00.000-08:002011-02-01T18:30:28.302-08:00चाँद खिला........ (1)
चाँद खिला पर रौशनी नही आयी
रात बीती पर दिन न चढ़ा
अर्श से फर्श तक के सफ़र में
कमबख्त रौशनी तबाह हो गया
(2)
दिल की हालत कुछ यूं बयान हुई
कुछ इधर गिरा कुछ उधर गिरा
राह-ए-उल्फत का ये नजराना है जालिम
न वो तुझे मिला न वो मुझे मिलाAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-44802718370330001982011-01-14T03:47:00.001-08:002011-02-06T07:15:44.309-08:00जाह्नवी हूँ ......... मै नदी हूँ .............पहाड़ो से निकली नदों से मिलती कठिन धरातल पर उफनती उछलती प्रवाह तरंगिनी हूँ
परवाह किसे है ले चलती किसे मै रेट हो या मिटटी न छोडूँ उसे Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-54023733460245727172010-12-18T08:34:00.000-08:002011-02-06T07:16:03.497-08:00आंसुओं की झड़ी.........
आंसुओं की झड़ी लगी
कहीं समंदर न बन जाए
टूटा दिल बिखर गया पल
दर्द-ए-दिल से जीया न जाए
धुआँ उठा जब सपनो से
राख से आँगन सजा दिया
दीया जो प्यार से जलाया था
गम के झोकों ने बुझा दिया
इस गीले मन को लेकर हम
क्या यूं ही जीये जायेंगे ?
इन कांच की बूंदों को मगर
क्या यूं ही लुटाते जायेंगे ?
ये कैसी दुनिया है जहां
गम आगे पीछे चलता है
खुशियों को इज़ाज़त है ही नहीं
वो बेगाना सा फिरता है
इन आंसुओं की Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-90528317600012678922010-12-04T01:12:00.000-08:002011-02-06T07:16:24.476-08:00दिन तो बदलते हैदिन तो बदलते है
जीते है मरते है
अपनी इस दुनिया में
पल पल फिसलते है
क्षण-भंगुर ये काया
भटकाती है माया
मन के इस भटकन से
बारम्बार छलते है
चलायमान सांसो का
गतिमान इस धड़कन का
नश्वर इस काया से
मोहभंग होना है
सावन फिर आयेगा
बदरा फिर छाएगा
ऋतुओं को आना है
आकर छा जायेगा
मन के इस पंछी को
तन के इस पिंजरे में
सहलाकर रखना है
वर्ना उड़ जायेगा
रे बंधु सुन रे सुन
नश्वर इस काया की
माया में न पड़ तू
वर्ना Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-40528347922205372742010-11-23T05:25:00.000-08:002010-11-23T05:25:41.920-08:00जब टूटा ये...........
जब टूटा ये मिलन मेला
सोचा रुक न पाएगा
ये आंसुओं का खेला
हर दिन इस राह पर
कितने फूल माला से
जाता है झर
न जाने कब आया
ये विस्मरण का बेला
दिनों-दिन कठोर हुआ
ये वक्ष-स्थल , सोचा था -
बहेगा नहीं ये अश्रु जल
अचानक देख तुझे राह में
रुदन ये निकला जाए न थमे ,
विस्मरण के तले तले था
अश्रुजल का खेला
गुरुदेव कीAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-4334356500356149182010-11-15T18:43:00.000-08:002010-11-19T07:21:05.767-08:00तृष्णाइन बारिश की बूंदों को तन से लिपटने दो प्यासे इस चातक का अंतर्मन तरने दो
बरसो की चाहत है बादल में ढल जाऊं पर आब-ओ-हवा के फितरत को समझने दो
फिर भी गर बूंदों से चाहत न भर पाए मन की इस तृष्णा को बादल से भरने दोAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-3728790287741004562010-11-13T09:52:00.000-08:002011-02-06T07:17:26.770-08:00स्वर्ग सिधारन हो कैसे
इस मलिन देह में ईश्वर का वास हो कैसे
झूठ-कपट भरे जिह्वा से ईश्वर का नाम हो कैसे
प्रपंचों में पडा इस मन से ईश्वर का ध्यान हो कैसे
बुराई को देखती इन नयनो से ईश्वर दर्शन हो कैसे
अपशब्द से भरा इस कंठ से ईश-भजन हो कैसे
हे ईश्वर !मोह माया से ग्रसित इस तन से
स्वर्ग सिधारन हो कैसेAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-40455527176960615292010-11-07T04:54:00.000-08:002010-11-07T04:54:04.081-08:00नि:शब्द
खामोश हम तुम
बात ज़िन्दगी से
आँखों ने कुछ कहा
धड़कन सुन रही है
धरती से अम्बर तक
नि:शब्द संगीत है
मौसम की शोखियाँ भी
आज चुप-चुप सी है
गीत भी दिल से
होंठ तक न आ पाए
बात दिल की
दिल में ही रह जाए.जिस्मो की खुशबू ने
पवन महकाया है
खामोशी को ख़ामोशी ने
चुपके से बुलाया है.प्यार की बातों को
अबोला ही रहने दो
नि:शब्द इस गूँज को
शब्दों में न ढलने दो.प्यार के भावो को
शब्दों में मत बांधो
चुपके से इस दिल से
Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-17136609362555509512010-10-23T05:06:00.000-07:002010-10-23T05:06:17.368-07:00सुन्दर ये मुखड़ा.............
सुन्दर ये मुखड़ा
चाँद का टुकडा
नयन विशाल है
अधर कोमल
————–
कटिबंध अनुपम
वलय निरूपम
कही है हीरक
कही कंचन
————-
नुपुर से सज्जित-
पग है, राजित -
घुंगर की ध्वनि
मृदु मद्धिम
————-
स्वर्णिम ये काया
मन में समाया
नायिका सी
सुन्दर है चलनAnamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-88535475987129664332010-10-08T03:12:00.001-07:002010-10-08T03:12:28.067-07:00मरो तो ऐसे ही मरोमानवता के काम आओ
मनुष्यता तो है तभी
बनो परोपकारी तुम
मानव कहलाओगे तभी
दानकर्म से बड़ा
नही है पुण्य सच है ये
कर्ण है उदाहरण
दिया कवच है दान में
कर्म जो है पर हितार्थ
संकोच ना करो ज़रा
दधीची के ही त्याग से
बना है इंद्रवज्रा
नीलकंठ ने पीया था विष
धरा बचाने को
बुद्ध ने दिया था ज्ञान
हिंसा को तुम त्याग दो
मृत्यु तो है पूर्ण सत्य
पर काम ऐसे ही करो
याद जो करे सभीमरो तो ऐसे ही मरो Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8899067725201464093.post-62778823554645023832010-09-10T21:25:00.000-07:002010-09-22T06:28:35.953-07:00काली घटाये काली घटा ने देखो क्या रंग दिखायानाच उठा मन मेरा हृदय ने गीत गाया
सूखी नदियाँ प्लावित हुई जीवन लहलहायादादुर,कोयल,तोता,मैना ने गीत गुनगुनाया
तप्त धरती शीतल हुई बूंदे टपटपायाधरती ने आसमान को छोड़ बादल को गले लगाया
रवि ज्योति मंद पड़ा मेघ गड़गड़ायानृत्य मयूर का देखये मन मुस्कराया
ishkiya...badi dhe...
Anamikaghatakhttp://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.com5