(मकडी)
धागा बुना अंगना में मैंने
जाल बुना कल रात मैंने
जाला झाड साफ़ किया है वास *
आओ ना मक्खी मेरे घर
आराम मिलेगा बैठोगे जब
फर्श बिछाया देखो एकदम खास *
(मक्खी)
छोड़ छोड़ तू और मत कहना
बातों से तेरा मन गले ना
काम तुम्हारा क्या है मैं सब जानूं*
फंस गया गर जाल के अन्दर
कभी सुना है वो लौटा फिर
बाप रे ! वहाँ घुसने की बात ना मानूं *
(मकड़ी)
हवादार है जाल का झूला
चारों ओर खिडकी है खुला
नींद आये खूब आँखे हो जाए बंद *
आओ ना यहाँ हाथ पाँव धोकर
सो जाओ अपने पर मोड़कर
भीं-भीं-भीं उड़ना हो जाए बंद *
(मक्खी)
ना चाहूँ मैं कोई झूला
बातों में आकर गर स्वयं को भूला
जानूं है प्राण का बड़ा ख़तरा *
तेरे घर नींद गर आयी
नींद से ना कोई जग पाए
सर्वनाशा है वो नींद का कतरा *
(मकड़ी)
वृथा तू क्यों विचारे इतना
इस कमरे में आकर देख ना
खान-पान से भरा है ये घरबार *
आ फ़टाफ़ट डाल ले मूंह में
नाच-गाकर रह इस घर में
चिंता छोड़ रह जाओ बादशाह की तरह *
(मक्खी)
लालच बुरी बला है जानूं
लोभी नहीं हूँ ,पर तुझे मैं जानूं
झूठा लालच मुझे मत दिखा रे *
करें क्या वो खाना खाकर
उस भोजन को दूर से नमस्कार
मुझे यहाँ भोजन नही करना रे *
(मकडी)
तेरा ये सुन्दर काला बदन
रूप तुम्हारा सुन्दर सघन
सर पर मुकुट आश्चर्य से निहारे *
नैनों में हजार माणिक जले
इस इन्द्रधनुष पंख तले
छे पाँव से आओ ना धीरे-धीरे *
(मक्खी)
मन मेरा नाचे स्फूर्ति से
सोंचू जाऊं एक बार धीरे से
गया-गया-गया मैं बाप रे!ये क्या पहेली *
ओ भाई तुम मुझे माफ़ करना
जाल बुना तुमने मुझे नहीं फसना
फंस जाऊं गर काम नआये कोई सहेली *
(उपसंहार)
दुष्टों की बातें होती चाशनी में डुबोया
आओ गर बातों में समझो जाल में फंसाया
दशा तुम्हारा होगा ऐसा ही सुन लो *
बातों में आकर ही लोग मर जाए
मकड़जीवी धीरे से समाये
दूर से करो प्रणाम और फिर हट लो *
कवि सुकुमार राय द्वारा रचित काव्य का अनुवाद
बहुत ही खूबसूरत ब्लाग है आपका
ReplyDeleteमन प्रसन्न हो गया देखकर ।
ये थीम आपने खुद बनाई है या कहीं से प्राप्त किया है ।
बताइयेगा तो खुशी होगी ।
धन्यवाद
अति सुन्दर,
ReplyDeleteकितनी बार सोचता हु कि इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है.
अपनी ढेरों शुभकामनाओ के साथ
shashi kant singh
www.shashiksrm.blogspot.com
बहुत ही खूबसूरत ब्लाग है आपका|
ReplyDeleteमकड़ी-मक्खी संवाद का आपने बहुत अच्छा अनुवाद किया है। बाकी पोस्ट भी देखीं, काफी अच्छी हैं...बधाई...
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteaap sab ko achchha laga............comment ke dhanyavaad
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत ब्लाग है आपका....ओर सुन्दर शब्दो उपयोग...
ReplyDeleteहवादार है जाल का झूला
चारों ओर खिडकी है खुला
नींद आये खूब आँखे हो जाए बंद
सुन्दर रचना है
बहुत सुन्दर ब्लाग है बहुत सुन्दर रचना मन को मोह लिया
ReplyDeleteमकडी व मक्खी के संवाद बहुत अच्छी सीख दे रहे है
धन्यवाद
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteइस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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