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Saturday, October 23, 2010

सुन्दर ये मुखड़ा.............



सुन्दर ये मुखड़ा
चाँद का टुकडा
नयन विशाल है
अधर कोमल
————–
कटिबंध अनुपम
वलय निरूपम
कही है हीरक
कही कंचन
————-
नुपुर से सज्जित-
पग है, राजित -
घुंगर की ध्वनि
मृदु मद्धिम
————-
स्वर्णिम ये काया
मन में समाया
नायिका सी
सुन्दर है चलन

5 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर कविता| धन्यवाद|

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  2. सुन्दरता का सुंदर वर्णन शब्दों का चयन और भी सुंदर

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  3. खूबसूरती से पिरोए गए अहसास. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  4. सुन्दरता का सुंदर वर्णन शब्दों का चयन और भी सुंदर

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