"यहाँ देखो,भारतमाता धीरे-धीरे आँखे खोल रही है . वह कुछ ही देर सोयी थी . उठो, उसे जगाओ और पहले की अपेक्षा और भी गौरवमंडित करके भक्तिभाव से उसे उसके चिरंतन सिंहासन पर प्रतिष्ठित कर दो!" ___स्वामी विवेकानंद
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Saturday, November 13, 2010
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सुंदर कथन.विचारणीय.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDelete--
बाल दिवस की शुभकामनाएँ!