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Tuesday, February 8, 2011

कविता रच डाली

Storm Watch


आसमान में बादल छाया
छुप गया सूरज शीतल छाया
मेरे इस उद्वेलित मन ने
          कविता रच डाली

ठंडी हवा का झोंका आया
कारी बदरी मन भरमाया
मन-मयूर ने पंख फैलाकर
          कविता रच डाली

गीली मिटटी की खुश्बू से
श्यामल-श्यामल सी धरती से
मन के अन्दर गीत जागा और
            कविता रच डाली

ये धरती ये कारी बदरी
मन को भरमाती ये नगरी
उद्वेलित कर गयी इस मन को और मैंने
             कविता रच डाली

3 comments:

  1. उद्वेलित कर गयी इस मन को और मैंने
    कविता रच डाली..

    बहुत सही कहा है...जब मन उद्वेलित हो जाता है तभी मन के उदगार कविता के रूप में ढल जाते हैं..बहुत सुन्दर

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  2. आपने तो बहुत खूबसूरत रचना रच डाली।
    बसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!

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  3. अना जी,
    आपने केवल कविता ही नहीं रची बल्कि मन में उमड़ते हुए भावों को कागज़ पर उकेर कर अभिव्यक्ति के विशाल आकाश के उत्पत्ति की संभावना को रचा है !
    बहुत बहुत बधाई !

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