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Friday, October 8, 2010

मरो तो ऐसे ही मरो

मानवता के काम आओ
मनुष्यता तो है तभी
बनो परोपकारी तुम
मानव कहलाओगे तभी

दानकर्म से बड़ा
नही है पुण्य सच है ये
कर्ण है उदाहरण
दिया कवच है दान में

कर्म जो है पर हितार्थ
संकोच ना करो ज़रा
दधीची के ही त्याग से
बना है इंद्रवज्रा

नीलकंठ ने पीया था विष
धरा बचाने को
बुद्ध ने दिया था ज्ञान
हिंसा को तुम त्याग दो

मृत्यु तो है पूर्ण सत्य
पर काम ऐसे ही करो
याद जो करे सभी
मरो तो ऐसे ही मरो 

3 comments:

  1. मृत्यु तो है पूर्ण सत्य
    पर काम ऐसे ही करो
    याद जो करे सभी
    मरो तो ऐसे ही मरो
    --
    यथार्थवादी रचना के लिए बधाई!

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  2. बहुत अच्छी यथार्थवादी प्रस्तुति।
    नवरात्र के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं

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