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Saturday, February 26, 2011

साजन तुम कब आओगे


साजन तुम कब आओगे
.
तुम्हारे कदमो की हल्की सी आहट से
  ये दिल परेशां हुआ
टूट न जाए ये प्यार के धागे
  मतवारा ये प्यार हुआ
.
तुम कब समझ पाओगे
साजन तुम कब आओगे
.
चाहे सांझ हो या चाहे सवेरा
   ये मन धडका जाए
तुम तो सजन नींदों से सोये
  हाय! मुझे नींद न आये
.
तुमने प्यार छुपाया लेकिन
  मुझ से न छुप पाया
मेरे मन की अन्धकार में
  प्यार का दीया जलाया
.
सावन की बदरी तुम बनकर
कब मन को तर जाओगे
साजन तुम कब आओगे

5 comments:

  1. भावपूर्ण भाव !
    बेहद खूबसूरत !
    शुभकामानायें !

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  2. सुन्दर रचना! .....हार्दिक बधाई ।

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  3. बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना..

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  4. सुन्दर कविता.. बेहद कोमल रचना और भाव !

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